Goods and Services getting Costly due to GST महंगाई बढाती जी एस टी
कापी किताब स्टेशनरी पर पहले टैक्स नहीं था अब जी एस टी लगने से १२ से १८ प्रतिशत महंगा हो गया है. इसी प्रकार आप एल आई सी जमा करते हो उसमे भी जी एस टी लग गयी है. मोटर बीमा भी महंगा हो गया है. मोटर साईकिल सर्विस कराने पर भी जी एस टी लग गयी है. स्वच्छता के नाम पर भी टैक्स लिया जा रहा है परन्तु स्वच्छता से नाता टूट गया है. जी एस टी पर रजिस्टर्ड व्यापारियों को जी एस टी रिटर्न भरना सर दर्द है जो की किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के बिना नहीं हो सकता है. जिसकी फीस भी १५ से २० हज़ार सालाना पड़ेगी. यदि व्यापारी ने अभी तक जी एस टी रिटर्न नहीं भरा है तो उसको २० से २५ हज़ार रूपए पेनाल्टी लग गयी है. जिसे भरे बिना वह कुछ नहीं कर सकता है. ऐसे में क्या यह लाभदायक है?
जी एस टी रिटर्न भरने में आप से-
सेल कितनी हुई ? परचेस कितनी हुई ? क्या क्या आइटम खरीदे ? कितना जी एस टी दिया?
अलग अलग राज्यों में कितनी कितनी सेल हुई? किस आईटम पर कितना जी एस टी लिया?
आइटम वार लिस्ट ? जी एस टी रेट वार लिस्ट ? आदि आदि अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं.
जी एस टी रिटर्न भरने में. जो की एक सर दर्द है. आसानी कहाँ हुई? एक सामान बेचने वाले व्यापारी को रिटर्न भरने में दिक्कत आ रही है तो एक परचून की दूकान वाले को अगर खुद जी एस टी रिटर्न भरना पड़े तो वह क्या दूकान चलाएगा क्या रिटर्न भरेगा. कोई भी व्यापारी इतनी फुर्सत में नहीं है की इतने डाटा बनाए और सही सही भरे.