#64 YOGINI TEMPLE, HIRAPUR, #ODISHA
20 km from main Bhubaneshwar
54 Km from Puri
Local tour bus from Puri do not go there. You have to plan your personal visit there.
रक्त बीज राक्षस के रक्त की जितनी बूंदें धरती पर गिरती थी उतने नए राक्षस पैदा हो जाते थे.
ऐसा उसने ब्रह्मा जी से वरदान पा रखा था. साथ ही वरदान के अनुसार वह किसी पुरुष देवता के द्वारा नहीं मारा जा सकता था. तो सारे देवताओं ने अपनी अपनी शक्ति देवी दुर्गा को दी. देवी दुर्गा ने अपने स्वरुप से 64 अन्य देवियों को प्रकट किया जिसमें देवताओं की शक्तियों के स्त्री स्वरुप भी थे. तब 64 योगिनियों के साथ काली देवी स्त्री रूप में रक्त बीज का संहार किया और उसका रक्त धरती पर गिरने से पहले ही पी लिया. जिससे रक्तबीज रक्तहीन होकर मारा गया. इस 64 योगिनी मंदिर उड़ीसा में गणेश जी का स्त्री रूप गणेशी, विष्णु के वराह स्वरुप का स्त्री रूप वाराही, नारायण रूप का स्त्री रूप नारायणी, नरसिंह का नरसिंहणी, रूप आदि की मूर्तियाँ हैं.
इन स्त्री रूपों की मूर्तियाँ खजुराहो मंदिरों में भी हैं.
64 योगिनी गावत
नृत्य करत भैरों. ये तो आपने सुना होगा. पार्वती स्वरुप दुर्गा देवी की सहायक 64
योगिनियाँ जिन्होंने रक्त बीज और अन्य राक्षसों का वध किया था उनका तंत्र मंदिर
ओड़िसा के हीरा पुर में भुवनेश्वर से 20 किमी दूर स्थित है. जिसमें पुजारी जी 64
योगिनियों के नाम बता रहे हैं और उनके वाहन का नाम बता रहे हैं. ये बेसाल्ट पत्थर
की बनी हैं. रक्त बीज राक्षस का वध देवता नहीं कर सकते थे देवियाँ ही कर सकती थीं.
(कुछ देवताओं ने भी देवी स्वरुप धारण किया था*.)