Song Notes Books

Saturday, 25 July 2020

mukesh ji



मुकेश जी के बारे में हसरत जयपुरी ने लिखा है:
वो सुर का देवता था जाने कहाँ छुपा है
‘हसरत’ का दिल उसे तो रह रह के ढूंढता है
जो गीत उसने गाया वो गीत ही अमर है
लोगों के साथ उसकी वो प्रीत ही अमर है
उसकी सदायें उसके नगमों से आ रही है
जो दिल दुखा रही है सबको रुला रही है
ऐ दिल ‘मुकेश’ जैसा सिंगर कहाँ से लाऊं
मीठी सदाओं वाला दिलबर कहाँ से लाऊं
ये दौर गायकों का यूँ ही चला करेगा
लेकिन ‘मुकेश’ जैसा कोई न मिल सकेगा

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